इस दुनिया में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति सफलता चाहता है लेकिन हम देखते है कि कुछ ही व्यक्ति सफल हो पाते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है ?
क्या सफलता सिर्फ कुछ लोगों के लिए ही बनी है?
बिल्कुल नहीं ।
इस दुनिया में सफल होने के लिए हमें खुद को इस यूनिवर्स को समर्पित करना पड़ता है ।
क्या इसी समर्पण को साइकोलॉजी विज्ञान में द लॉ आफ अट्रैक्शन कहते हैं ?
आज हम इस ब्लॉक में द लॉ आफ अट्रैक्शन के 7 फैक्टर के बारे में बात करेंगे।
और हम यह भी जानेंगे की किस प्रकार से हमारे धर्म और मजहब इस नियम से कितना मेल खाते हैं।
द लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन क्या है?
द लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन का कॉन्सेप्ट कोई नई बात नहीं है यह कॉन्सेप्ट हजारों सालों से चली आ रही है । इसके बारे में कई सारी पुरानी किताबों में लिखा हुआ है।
हालांकि, वर्तमान समय में इसे व्यवस्थित रूप से सबसे पहले Helena Blavatsky और William Walker Atkinson जैसे लेखकों ने प्रस्तुत किया था।
आईए जानते हैं हमें धर्म ग्रंथो में इस कॉन्सेप्ट के बारे में क्या मिलता है ।
प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख:
हिंदू धर्म: वेदों और उपनिषदों में "संकल्प शक्ति" और "कर्म सिद्धांत" का जिक्र किया गया है, जो Law of Attraction के विचार से मेल खाता है।
बाइबिल: "As a man thinketh in his heart, so is he" (Proverbs 23:7) – यानी इंसान जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।
बुद्धिज्म: "हम वही बन जाते हैं जो हम सोचते हैं।"
इस्लाम: इस्लाम की पवित्र किताब कुरान शरीफ में इस कांसेप्ट को भर भर कर देखने को मिलता है जैसे:
इस्लाम में कहा गया है कि "हर इंसान को उसकी नियत के अनुसार ही बदला मिलेगा।" (सहीह बुखारी, हदीस नंबर: 1)
कुरआन में अल्लाह कहते हैं:
"तुम मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी पुकार को स्वीकार करूंगा।" (सूरह ग़ाफिर 40:60)
कुरआन में कहा गया है:
*"अगर तुम शुक्र अदा करोगे तो मैं तुम्हें और ज्यादा दूंगा, और अगर तुम नाशुक्री करोगे तो मेरा अज़ाब सख्त होगा।" (सूरह इब्राहीम 14:7) ।
कुरआन में अल्लाह फरमाते हैं:
"इंसान के लिए वही है, जिसके लिए वह प्रयास करता है।" (सूरह नज्म 53:39) ।
अब इसी प्रकार से लगभग 1888 में हेलेना और विलियम वॉकर ने अपनी किताब में थे लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन का कॉन्सेप्ट लिखा और बताया की किस प्रकार हमारे विचार और फीलिंग्स आपस में मिलकर हमें सक्सेसफुल और असफल बनती है परंतु यहां पर इन्होंने ईश्वर की बात न करके यूनिवर्स का नाम लिया।
इन्होंने बताया की जो भी हमें चाहिए वह हम यूनिवर्स से आस्क करें और बिलीव करें कि वह हमें मिलेगा ।
चलिए अब जानते हैं 7 फैक्टर ऑफ़ द लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन :-
इस कांसेप्ट का पहला फैक्टर कहता है की:-
1. मांगो और यकीन कर (Ask & believe)- यह कॉन्सेप्ट कहता है कि आपको जो चाहिए आप इस यूनिवर्स से मांगे और यकीन करें की आपको वह मिलेगा जैसे अगर आप एक डॉक्टर बनना चाह रहे हैं तो आप इस यूनिवर्स से कहिए कि आप एक डॉक्टर बनना चाहते हैं और यकीन रखिए कि आप डॉक्टर बनेंगे तब जाकर इस कॉन्सेप्ट पर आप खरे उतर सकते हैं ।
चलिए अब इसको धर्म ग्रंथो के अनुसार समझते हैं धर्म में कुछ कहानियां बहुत मशहूर है तो ध्यान से पढ़िए और समझिए ।
1. इस्लामिक स्टोरी: हजरत मूसा (Musa A.S) और गरीब व्यक्ति की दुआ :-
एक बार हजरत मूसा (Musa A.S) एक पहाड़ पर अल्लाह से बात करने जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक गरीब आदमी मिला, जो बहुत ही ग़रीबी में जी रहा था। उसने मूसा (A.S) से कहा:
"ऐ मूसा! जब आप अल्लाह से बात करें, तो मेरी भी एक गुजारिश कह दीजिए।"
मूसा (A.S) ने पूछा: "क्या गुजारिश है?"
गरीब व्यक्ति ने कहा:
"बस अल्लाह से कह दीजिए कि मेरी गरीबी खत्म कर दे और मुझे दौलत दे दे।"
मूसा (A.S) ने अल्लाह से यह बात कही।
अल्लाह ने जवाब दिया:
"मैं उसे सिर्फ़ एक हफ्ते के लिए अमीर बनाऊँगा। अगर वह शुक्रगुजार रहा, तो मैं और ज्यादा दूँगा।"
जल्द ही वह गरीब आदमी अमीर बन गया। उसने खूब दौलत कमाई और दूसरों की मदद करने लगा। जब एक हफ्ता पूरा हुआ, तो अल्लाह ने उसकी दौलत खत्म नहीं की, क्योंकि वह न सिर्फ़ दुआ कर रहा था, बल्कि भरोसा भी कर रहा था और नेक काम भी कर रहा था।
➡ सीख: जब आप दुआ (Ask) करते हैं और उस पर ईमान रखते हैं (Believe), तो अल्लाह उसे कबूल कर सकता है। लेकिन दुआ के साथ नेक अमल (Action) भी जरूरी होता है।
2. हिंदू स्टोरी: सुदामा और श्रीकृष्ण की भक्ति :-
सुदामा, जो श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र थे, बहुत गरीब थे। उनकी पत्नी ने उनसे कहा:
"श्रीकृष्ण अब द्वारिका के राजा हैं, उनसे जाकर सहायता माँगो।"
सुदामा संकोच करते रहे, लेकिन फिर श्रीकृष्ण से मिलने का निश्चय किया। वे द्वारिका पहुंचे और श्रीकृष्ण को चावल की पोटली भेंट की। श्रीकृष्ण ने प्रेम से उसे स्वीकार किया और कुछ नहीं कहा।
जब सुदामा अपने गाँव लौटे, तो देखा कि उनकी झोपड़ी एक भव्य महल में बदल चुकी थी और वे धन-संपत्ति से भर गए थे।
➡ सीख: सुदामा ने कुछ माँगा नहीं, लेकिन उनका प्रेम (Ask) और श्रीकृष्ण पर भरोसा (Believe) इतना गहरा था कि श्रीकृष्ण ने बिना माँगे ही उन्हें सब कुछ दे दिया l
साइकोलॉजी के नियम और धर्म ग्रंथो में लिखी गई यह बातें दोनों से यह सबित होता है कि अगर हमें कुछ भी चहिए तो सबसे पहले हमें उसे मांगना होगा उससे भी ज्यादा हमें यकीन रखना होगा कि वह चीज हमें मिलेगी यह कॉन्सेप्ट यही कहता है ।
📌2,3. नियत (Intention) & कर्म (Action)-
Hallen अपनी किताब में लिखती है कि अगर आपको इस यूनिवर्स से अपनी सफलता चाहिए तो आपकी नीयत अच्छी होनी चहिए क्योंकि आपका इंटेंशन ही यह साबित करता है की आप उस सफलता के लायक हैं या नहीं ।
जब किसी व्यक्ति की नियत में प्योरिटी होती है तो उसकी सफलता में उसके लक्ष्य में उसको एक क्लेरिटी दिखाई देती है । इसी प्रकार -
इस्लाम ने नियत साफ रखने पर बहुत ही ज्यादा जोर दिया है जैसे इस्लाम ने सभी मुसलमान को यह आदेश दिया है कि उनके लिए सबसे इंपॉर्टेंट चीज यानी नमाज में अगर उन्होंने नियत अपनी सही नहीं की तो उन्हें इसकी सजा मिलेगी और उनकी नमाज को यानी उनकी इबादत को नकार दिया जाएगा । इस्लाम ने नियत साफ रखने के साथ कम पर जोर दिया है जिसे इस्लाम में अमल कहा जाता है इस्लाम यह नहीं कहता कि आप नियत साफ रखिए और सिर्फ मांगते रहिए और आपको मिल जाएगा,नहीं । इस्लाम कहता है कि आप इसके साथ-साथ बताए गए रास्तों पर अमल करिए अर्थात कर्म करिए ।
हिंदू धर्म में महाभारत में लिखा है -
जब महाभारत का युद्ध तय हुआ, श्रीकृष्ण कर्ण के पास गए और बोले—
श्रीकृष्ण: "कर्ण, तुम धर्म के विरुद्ध खड़े हो। पांडव तुम्हारे भाई हैं, फिर भी तुम अधर्म का साथ क्यों दे रहे हो?"
कर्ण: "दुर्योधन ने मुझे सम्मान दिया, मैं उसका ऋणी हूँ।"
श्रीकृष्ण: "परंतु धर्म मित्रता से बड़ा है। तुम जानते हो कि तुम सही पक्ष पर नहीं हो, फिर भी क्यों?"
कर्ण: "मेरी नियति यही है, कृष्ण!"
श्रीकृष्ण: "नियति वही होती है जो हम चुनते हैं। अगर नियत शुद्ध हो, तो कर्म भी सही दिशा में जाते हैं। अहंकार और वचन को धर्म से ऊपर मत रखो।"
कर्ण: "मैं जानता हूँ कि मेरी हार निश्चित है, फिर भी मैं अपने वचन से पीछे नहीं हट सकता।"
श्रीकृष्ण: "यही तुम्हारी भूल है, कर्ण! अगर तुम अपनी नियत बदलते, तो तुम्हारी नियति भी बदल सकती थी।"
सीख:
नियत और कर्म ही हमारे भाग्य का निर्माण करते हैं। सही नियत से किए गए कर्म व्यक्ति को महान बनाते हैं, जबकि गलत राह विनाश की ओर ले जाती है।
4. छवि तैयार करना (विजुलाइजेशन)-
जब हम किसी लक्ष्य को अपनी आँखों से देखने से पहले अपने दिल और दिमाग में देख लेते हैं, तो उसे पूरा करना आसान हो जाता है। विज़ुअलाइज़ेशन और यकीन के साथ मेहनत करने से असंभव भी संभव हो जाता है। चलिए कहानी से समझते हैं।
हज़रत इब्राहिम (अ.) को अल्लाह ने आदेश दिया कि वे अपने बेटे हज़रत इस्माईल (अ.) के साथ काबा का निर्माण करें। लेकिन वह जगह वीरान थी, वहाँ न कोई संसाधन था और न ही कोई योजना।
हज़रत इब्राहिम (अ.) ने अल्लाह की ओर रुख किया और अपने दिल में उस महान निर्माण को देखा, जिसे वे पूरा करना चाहते थे। उन्होंने अपने मन में यह छवि बना ली कि यह घर सिर्फ पत्थरों की इमारत नहीं होगा, बल्कि एक ऐसी जगह होगी जहाँ दुनिया भर के लोग इबादत करने आएंगे।
जब हज़रत इब्राहिम (अ.) और हज़रत इस्माईल (अ.) ने पत्थर रखने शुरू किए, तो वे लगातार यह दुआ करते रहे—
"ऐ हमारे रब, इसे स्वीकार कर ले, क्योंकि तू ही सब कुछ सुनने और जानने वाला है।" (सूरह अल-बकराह 2:127)
धीरे-धीरे, उनकी मेहनत और अटल विश्वास से काबा का निर्माण पूरा हुआ, और आज भी यह पूरी दुनिया के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र स्थान बना हुआ है।
सीख:
हज़रत इब्राहिम (अ.) ने पहले अपने दिल में उस महान कार्य की छवि बनाई और फिर उसे हकीकत में बदला।
अर्जुन और पक्षी की आँख
गुरु द्रोणाचार्य अपने शिष्यों की परीक्षा लेने के लिए उन्हें एक पेड़ पर बैठी चिड़िया की आँख पर निशाना साधने को कहते हैं। सभी शिष्य एक-एक करके निशाना लगाते हैं, लेकिन पहले गुरु उनसे एक सवाल पूछते हैं—
गुरु द्रोण: "तुम्हें क्या दिख रहा है?"
युधिष्ठिर: "मुझे पेड़, डालियाँ, चिड़िया और उसकी आँख दिख रही है।"
भीम: "मुझे पूरा पेड़ और चिड़िया दिख रही है।"
लेकिन जब अर्जुन की बारी आई, तो उन्होंने उत्तर दिया—
अर्जुन: "मुझे सिर्फ चिड़िया की आँख दिख रही है।"
गुरु द्रोण मुस्कुराए और बोले—
"बस यही विज़ुअलाइज़ेशन की शक्ति है! जब तुम सिर्फ अपने लक्ष्य को देखोगे, तो ही तुम उसे हासिल कर पाओगे।"
अर्जुन ने तीर छोड़ा, और वह सीधा चिड़िया की आँख में जाकर लगा।
सीख:
जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को पूरी तरह से देख सकता है, वही उसे हासिल कर सकता है। अगर हमारा ध्यान भटकता रहेगा, तो सफलता मुश्किल होगी। विज़ुअलाइज़ेशन हमें अपने लक्ष्य की स्पष्टता और दृढ़ता देता है।
5. कृतज्ञता(Gratitude)-
हेलेन अपनी किताब में लिखती हैं द लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन कॉन्सेप्ट में सब कुछ करने के बाद अगर आप में उसके प्रति कृतज्ञ नहीं होगी तो यह यनिवर्स आपको कुछ भी नहीं देगा ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारे धर्म ग्रंथ भी इसी बात पर जोर देते हैं कहानी से समझते हैं ।
1. इस्लामिक कहानी – हज़रत सुलेमान (अ.) और चींटी की कृतज्ञता
हज़रत सुलेमान (अ.) को अल्लाह ने इंसानों, जिन्नात और जानवरों पर हुकूमत दी थी। एक दिन उन्होंने एक चींटी को देखा, जो अल्लाह का शुक्र अदा कर रही थी। हज़रत सुलेमान (अ.) ने उससे पूछा, "तुम इतनी छोटी हो, फिर भी अल्लाह की कितनी बड़ी नेमतों का शुक्र अदा कर रही हो?"
चींटी ने जवाब दिया, "अगर मैं अल्लाह का शुक्र अदा करती रहूँ, तो वह मुझे भूखा नहीं रखेगा। मेरी छोटी-सी जिंदगी में भी उसने मुझे संभाला है, और मैं हर हाल में उसका शुक्रगुजार हूँ।"
हज़रत सुलेमान (अ.) को एहसास हुआ कि कृतज्ञता सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि हर जीव के दिल में होती है। जब हम शुक्रगुजार होते हैं, तो अल्लाह हमारी नेमतों को और बढ़ा देता है।
क़ुरआन में आता है:
"अगर तुम शुक्र अदा करोगे तो मैं तुम्हें और अधिक दूँगा, और अगर नाशुक्री करोगे तो मेरा अज़ाब सख्त होगा।" (सूरह इब्राहीम 14:7) ।
2. हिंदू कहानी – संत एकलव्य और कृतज्ञता का भाव
महाभारत में एकलव्य की कहानी एक अद्भुत उदाहरण है कि कृतज्ञता कैसे हमारी सफलता में भूमिका निभाती है। एकलव्य को गुरुद्रोणाचार्य से शिक्षा लेने की इच्छा थी, लेकिन वे केवल राजकुमारों को सिखाते थे।
एकलव्य ने गुरु द्रोण की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उनकी कल्पना के साथ अभ्यास शुरू किया। उसने बिना किसी प्रत्यक्ष शिक्षा के धनुर्विद्या में महारथ हासिल कर ली। जब गुरु द्रोण ने उसका कौशल देखा, तो उन्होंने उससे गुरुदक्षिणा में अपना अंगूठा माँग लिया।
बिना किसी संकोच के, एकलव्य ने कृतज्ञता के भाव से अपना अंगूठा काटकर गुरु को भेंट कर दिया। यह उसकी अटूट श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रमाण था, जिसने उसे इतिहास में अमर बना दिया।
गीता में आता है:
"जो कुछ मिला है, उसके लिए कृतज्ञ बनो, क्योंकि यह तुम्हें और अधिक प्रदान करेगा।"
6. सकारात्मक पुष्टि(Affirmation)-
क्या एक ऐसी मेंटली तकनीक है जिसके माध्यम से व्यक्ति सकारात्मक सोच और नकारात्मक सोच पैदा करता है और इस कॉन्सेप्ट में इस बात पर बहुत ही ज्यादा जोर दिया गया है और कहां गया है कि आप अपने आप को सिर्फ सकारात्मक शब्द ही कहें । जैसे कि आप खुश हैं, आपके पास अच्छे मौके आते हैं,आपका परिवार सुखी है,आप उन्हें सुखी रख सकते हैं ।
इसी प्रकार धर्म ग्रंथो में खुद को या अपने परिवार को नेगेटिव बात बोलने के लिए मना किया गया है । आप हमेशा खुद को सकारात्मक शब्दों से जोड़ें ।
7. ब्रह्माण्ड के प्रति समर्पण करें ।
अब आता है हमारे इस ब्लाग का सबसे अहम हिस्सा जैसा कि आपने ब्लॉग के शुरू में पढ़ा था की समर्पण ही द लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन है इस कांसेप्ट का सबसे जरूरी हिस्सा यही है कि आपको अपने आप को इस यूनिवर्स के हवाले करना होगा आप सारे कांसेप्ट को बारी-बारी से पूरा करें और फिर इंतजार करें ।
जब हम कोई इच्छा रखते हैं, उसे महसूस करते हैं, विजुलाइज़ करते हैं और खुद को उस एनर्जी में रखते हैं, तो ब्रह्मांड उसे पूरा करने के लिए रास्ते तैयार करने लगता है। लेकिन अक्सर लोग एक गलती कर बैठते हैं—"कैसे होगा?", "कब होगा?", और "क्या सच में होगा?" ये सवाल उनके मन में चलने लगते हैं और उनका डर उनके विश्वास से बड़ा हो जाता है।
"समर्पण" का असली मतलब यह नहीं कि आप प्रयास करना छोड़ दें, बल्कि यह कि आप यह भरोसा रखें कि चीजें सही समय पर और सही तरीके से आपके हक में होंगी। जब कोई व्यक्ति पूरी सच्चाई से ब्रह्मांड पर विश्वास करता है और चीजों को जबरदस्ती कंट्रोल करने की कोशिश नहीं करता, तो उसका हर सपना एक हकीकत बन जाता है।
भगवद गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं:
"कर्म करो, फल की चिंता मत करो।"
इस्लाम में भी तवक्कुल (Tawakkul) की सीख दी गई है:
"तुम कोशिश करो, और बाकी सब अल्लाह पर छोड़ दो।"
तो असली राज़ क्या है?
सिर्फ मांगना नहीं, सिर्फ भरोसा करना नहीं, सिर्फ मेहनत करना नहीं—बल्कि पूरी तरह से इस यकीन में डूब जाना कि "जो मेरे लिए सही है, वो मुझे ज़रूर मिलेगा" और खुद को ब्रह्मांड की शक्ति के हवाले कर देना। यही लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन की सबसे ऊंची और सशक्त स्टेज है—समर्पण।
😃🚀 अब आपकी बारी है कमेंट में बताएं की आप कब से इस कॉन्सेप्ट की शुरुआत करेंगे🙏
📖 📚 आप इन किताबों को पढ़ सकते हैं ।
1. The Secret – Rhonda Byrne
2. The Power of Now – Eckhart Tolle
3. Ask and It Is Given – Esther & Jerry Hicks
4. The Surrender Experiment – Michael A. Singer
5. The Magic – Rhonda Byrne
6. Think and Grow Rich – Napoleon Hill
7. You Can Heal Your Life – Louise Hay
8. The Alchemist – Paulo Coelho
📌आप को ये भी पढ़ना चाहिए !
आदतें कैसे बनती हैं और गलतियां बार-बार क्यों दोहराई जाती हैं?
0 टिप्पणियाँ
Thank you,if you any doubt please let me know 💖